किताबो के पन्नों को पलट के सोचता हूँ,
यूँ पलट जाए मेरी ज़िंदगी तो क्या बात हो,
ख्वाबो में जो रोज़-रोज़ मिलती है,
हकीकत में मिल जाए, तो क्या बात हो,
मतलब के लिए तो सब ढूँढ़ते हैं मुझको,
बिन मतलब के जो पास आये कोई तो क्या बात हो,
कत्ल करके तो सब ले जायेंगे दिल मेरा,
कोई बातों से ले जाए तो क्या बात हो,
जिंदा रहने तक ख़ुशी दूँगा सबको,
किसी को मेरी मौत से खुशी मिल जाए तो क्या बात हो..
क्या बात है? बड़े ही सुन्दर जज्बात हैं. काश कोई दिल के जज्बातों को समझ ले आपके!!