1. थाम कर बैठे हो जिसे गर्दिश-ए-वक़्त में वो हाथ छोड़ दोगे
तेरी चूड़ी के शीशे से भी नाज़ुक है मेरा दिल यूँ ही खेल खेल में तोड़ दोगे..
2. एक दूसरे को उसी में देख लेंगे
तेरे शहर का चाँद मेरे शहर में भी निकलता है..
3. दुनिया बदलनी है तो घर से निकलना होगा
कहीं पहुँचने के लिए कहीं से तो चलना होगा..