कुछ तुम को सच से नफरत थी,
कुछ हम से न बोले झूट गए,
कुछ लोगों ने उकसाया तुम्हें,
कुछ अपने मुक़द्दर फूट गए,
कुछ खुद इतने चालाक न थे,
कुछ लोग भी हम को लूट गए,
कुछ उम्मीद भी हद से ज्यादा थे,
की मेरे ख्वाब ही सारे टूट गए..
कुछ तुम को सच से नफरत थी,
कुछ हम से न बोले झूट गए,
कुछ लोगों ने उकसाया तुम्हें,
कुछ अपने मुक़द्दर फूट गए,
कुछ खुद इतने चालाक न थे,
कुछ लोग भी हम को लूट गए,
कुछ उम्मीद भी हद से ज्यादा थे,
की मेरे ख्वाब ही सारे टूट गए..
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