जीना चाहा तो जिंदगी से दूर थे हम
मरना चाहा तो जीने को मजबूर थे हम
सर झुका कर कबूल कर ली हर सजा
बस कसूर इतना था कि बेकसूर थे हम।
जीना चाहा तो जिंदगी से दूर थे हम
मरना चाहा तो जीने को मजबूर थे हम
सर झुका कर कबूल कर ली हर सजा
बस कसूर इतना था कि बेकसूर थे हम।
बहुत कातिल अंदाज है खुद की बेगुनाही साबित करने का…
“सर झुका कर कबूल कर ली हर सजा
बस कसूर इतना था कि बेकसूर थे हम…”
बिंदास 🙂