1. तुझे ही फुरसत ना थी किसी अफ़साने को पढ़ने की,
मैं तो बिकता रहा तेरे शहर में किताबों की तरह..
2. घर के बहार ढूंढता रहता हुँ दुनिया,
घर के अंदर दुनियादारी रहती है..
3. कोई ज़रुरत नहीं किसी को याद आऊं मैँ,
कोई मुझे याद आ रहा है यही बहुत है..
Best for lovers