अब न ख्व़ाबों से, ख़िलौनों से, बहल पाऊँगा,
वक़्त गुम हो गया, मुझसे मेरा बचपन लेकर
—-
जो मौत से ना डरता था, बच्चों से डर गया…
एक रात जब खाली हाथ मजदूर घर गया…!
—-
मुझे अपने लफ़्जो से आज भी शिकायत है,
ये उस वक़त चुप हो गये जब इन्हें बोलना था…
हिंदी शायरी. प्यार और दोस्ती के लिए शायरी, हिंदी में.
अब न ख्व़ाबों से, ख़िलौनों से, बहल पाऊँगा,
वक़्त गुम हो गया, मुझसे मेरा बचपन लेकर
—-
जो मौत से ना डरता था, बच्चों से डर गया…
एक रात जब खाली हाथ मजदूर घर गया…!
—-
मुझे अपने लफ़्जो से आज भी शिकायत है,
ये उस वक़त चुप हो गये जब इन्हें बोलना था…
ज़रा सी बात पे ना छोड़ना किसी का दामन
उम्रें बीत जाती हैं दिल का रिश्ता बनाने में ….
—
मुझसे ‘नफरत’ तभी करना
जब आप मेरे बारे मे ‘सबकुछ’ जानते हो
तब नहीं जब किसी से ‘कुछ’ सुना हो ।
—
मैं कई अपनों से वाक़िफ़ हूँ
जो पत्थर के बने हैं !!!
मेरी मंज़िल मेरी हद
बस तुमसे तुम तक
ये फ़क्र है कि तुम मेरे हो
पर फ़िक्र है कि कब तक
अब किसी और से मुहब्बत करलू तो शिकायत मत करना
ये बुरी आदत भी मुझे तुमसे ही लगी है
लम्हों की दौलत से दोनों महरूम रहे ,
मुझे चुराना न आया,
तुम्हें कमाना न आया..