1. पहले क्या मुश्किलें कम थी,
एक तेरी उलझी ज़ुल्फ़ों ने ज़िन्दगी और उलझा दी..
2. उसके फैंसलों में एक हिज़्र का फैंसला भी था,
मेरे वगैर रह-ए-ज़िन्दगी पर चलते जाने का उस में होंसला भी था..
3. चांदी के सिक्के और बनता हुआ घर दिखाई देता है नजूमियों को ,
मुसाफिर की हाथ की लकीरों में मुक़द्दर दिखाई देता है..