दिल के समंदर की सतह पे आके सुन,
खामोशीया किस कदर सौर मचाती है,
दर्द को बहुत मनाया ऑखो से ना छलके,
दुनिया बेकार मे झुटी बाते बनाती है।
दिल के समंदर की सतह पे आके सुन,
खामोशीया किस कदर सौर मचाती है,
दर्द को बहुत मनाया ऑखो से ना छलके,
दुनिया बेकार मे झुटी बाते बनाती है।