इश्क के गुल,थोडे इंतजार में नहीं खिलते,
मंजिल पर खडे लोग,मझधार में नहीं मिलते,
रूह तक में बस जाए खुशबू जिनकी,
अब वो फूल बाजार में नहीं मिलते..
इश्क के गुल,थोडे इंतजार में नहीं खिलते,
मंजिल पर खडे लोग,मझधार में नहीं मिलते,
रूह तक में बस जाए खुशबू जिनकी,
अब वो फूल बाजार में नहीं मिलते..