इन अंधेरों में मुझे एक रौशनी सी दिखती है…
कहीं ये मेरी ज़िन्दगी तो नहीं!
जैसे वादियों में शामिल कोई नमी सी दिखती है…
कहीं ये मेरी ज़िन्दगी तो नहीं!
में तन्हां बैठा हूँ, किसी पेड की छांव में और वो फुल की एक कली सी दिखती है…
कहीं ये मेरी ज़िन्दगी तो नहीं!