1. मोहब्बत की न सही मेरे सलीके की तो दाद दे,
रोज़ तेरा ज़िक्र करता हूँ बगैर तेरा नाम लिए..
2. बहुत रोका लेकिन रोक ही नहीं पाया,
मुहब्बत बढ़ती ही गयी मेरे गुनाहों की तरह”..
3. तुम्हारे चाँद से चेहरे पे ग़म अच्छे नहीं लगते,
हमें कह दो चले जाओ जो हम अच्छे नहीं लगते..
. क्या ज़रूरत थी दूर जाने की,
पास रहकर भी तो तड़पा सकते थे…
Nice hindi sayri’s
Verry nice
nice