1. झुठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते हैं,
तरक्की के बाज़ की उडान में कभी आवाज़ नहीं होती..
2. किस किस तरह से छुपाऊँ तुम्हें मैं,
मेरी मुस्कान में भी नज़र आने लगे हो तुम..
3. अब हर कोई हमें आपका आशिक़ कह के बुलाता है,
इश्क़ नहीं न सही मुझे मेरा वजूद तो वापिस कीजिए..
बहुत खूब कहा है आपने- “अब हर कोई हमें आपका आशिक़ कह के बुलाता है,
इश्क़ नहीं न सही मुझे मेरा वजूद तो वापिस कीजिए..”
आपकी हर पोस्ट शानदार होती है.