1. निहार रहा था उसके चेहरे की खुली किताब को,
कमबख्त बोल बैठी देखो जी नक़ल करना जुर्म है..
2. इलाज़ अपना कराते फिरते हो जाने किस किस से
मोहब्बत करके देखो ना मोहब्बत क्यों नही करते..
3. इस खुरदुरी ग़ज़ल को न यूँ मुँह बना के देख,
किस हाल में लिखी है मिरे पास आ के देख..