1. देखकर दर्द किसी का जो आह निकल जाती है,
बस इतनी से बात आदमी को इंसान बनाती है..
2. भरे बाजार से अक्सर ख़ाली हाथ ही लौट आता हूँ,
पहले पैसे नहीं थे अब ख्वाहिशें नहीं रहीं..
3. कर लेता हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ,
कि खुदा नूर भी बरसाता है,आज़माइशों के बाद..