पत्थर समझ कर पाव से ठोकर लगा दी,
अफ़सोस तेरी आँख ने परखा नहीं मुझे ,
क्या क्या उम्मीदें बाँध कर आया था सामने ,
उसने तो आँख भर के भी देखा नहीं मुझे। ..
पत्थर समझ कर पाव से ठोकर लगा दी,
अफ़सोस तेरी आँख ने परखा नहीं मुझे ,
क्या क्या उम्मीदें बाँध कर आया था सामने ,
उसने तो आँख भर के भी देखा नहीं मुझे। ..