शक का कोई ईलाज नहीं होता,
जो यकीं करता है कभी नराज नहीं होता,
वो पूछते है हमसे कितना प्यार करते हो,
उन्हे क्या पता मौहाबत का हिसाब नहीं होता..
शक का कोई ईलाज नहीं होता,
जो यकीं करता है कभी नराज नहीं होता,
वो पूछते है हमसे कितना प्यार करते हो,
उन्हे क्या पता मौहाबत का हिसाब नहीं होता..