ता-उम्र अब सफर में गुजरने लगी है जिंदगी,
महरूम अब हमसे होने लगी है हर खुशी,
कुछ मसरूफ सा रहने लगा हूं मैं भी अब मंज़िलो की तलाश में,
ना जाने कब खत्म होगा ये सफर ऐ-ज़िन्दगी..
ता-उम्र अब सफर में गुजरने लगी है जिंदगी,
महरूम अब हमसे होने लगी है हर खुशी,
कुछ मसरूफ सा रहने लगा हूं मैं भी अब मंज़िलो की तलाश में,
ना जाने कब खत्म होगा ये सफर ऐ-ज़िन्दगी..