उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो,
जो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करो,
इस समंदर में तूफ़ान बहुत आते है,
इसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो..
उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो,
जो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करो,
इस समंदर में तूफ़ान बहुत आते है,
इसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो..
Very Nice Lines.