चिराग़-ए-दिल बुझाना चाहता था,
वो मुझको भूल जाना चाहता था !
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मुझे वो छोड़ जाना चाहता था,
मगर कोई बहाना चाहता था !
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सफ़ेदी आ गई बालों पे उसके,
वो बाइज़्ज़त घराना चाहता था !
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उसे नफ़रत थी अपने आपसे भी,
मगर उसको ज़माना चाहता था !
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तमन्ना #दिल की जानिब बढ़ रही थी,
परिन्दा आशियाना चाहता था !
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बहुत ज़ख्मी थे उसके होंठ लेकिन,
वो बच्चा मुस्कुराना चाहता था !
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ज़बाँ ख़ामोश थी उसकी मगर वो,
मुझे वापस बुलाना चाहता था !
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जहाँ पर कारख़ाने लग गए हैं,
मैं एक बस्ती बसाना चाहता था !
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उधर #क़िस्मत में वीरानी लिखी थी,
इधर मैं घर बसाना चाहता था !
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वो सब कुछ याद रखना चाहता था,
मैं सब कुछ भूल जाना चाहता था !
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