वक्त की हो धूप या तेज़ हो आँधियाँ,
कुछ क़दमों के निशाँ कभी नहीँ खोते,
जिन्हें याद करके मुस्कुरा दें ये आँखें,
वो लोग दूर होकर भी दूर नहीं होते..
वक्त की हो धूप या तेज़ हो आँधियाँ,
कुछ क़दमों के निशाँ कभी नहीँ खोते,
जिन्हें याद करके मुस्कुरा दें ये आँखें,
वो लोग दूर होकर भी दूर नहीं होते..