1. उस वक़्त भी अक्सर तुझे हम ढूंढने निकले ,
जिस धुप मे मज़दूर भी छत पे नहीं जाते ..
2. सब कुछ तो है क्या ढूंढती रहती हैं निगाहें ,
क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यों नहीं जाता ..
3. हमारी शायरी पढ़ कर बस इतना सा बोले वो ,
कलम छीन लो इनसे .. ये लफ्ज़ दिल चीर देते है ..
बहुत खूब
Jo tootte nahi wo jurne ka hunar nahi jaan sakte.aur jo tootte nahi wo mitti ke nahi patthar ke bane hote hai. Aur jo mitti ka nahi wo insaan nahi.