1. बदन की मज़बूरी है तो सो लेते है ,
वरना साहब दिल को आजकल कहा नींद आती है..
2. आज सड़क पर निकले तो तेरी याद आ गई,
तूने भी इस सिग्नल की तरह रंग बदला था..
3. मोहब्बत भी कटी पतंग जैसी ही है जनाब,
गिरती वहीं है जिसकी छत बड़ी होती है..
1. बदन की मज़बूरी है तो सो लेते है ,
वरना साहब दिल को आजकल कहा नींद आती है..
2. आज सड़क पर निकले तो तेरी याद आ गई,
तूने भी इस सिग्नल की तरह रंग बदला था..
3. मोहब्बत भी कटी पतंग जैसी ही है जनाब,
गिरती वहीं है जिसकी छत बड़ी होती है..