1. आनंद लूट ले बन्दे,प्रभु की बन्दगी का,
ना जाने कब छूट जाये,साथ जिन्दगी का..
2. किसी रोज़ होगी रोशन, मेरी भी ज़िंदगी,
इंतज़ार सुबह का नही, किसी के लौट आने का है..
3. हमसे क्या खाक उलझेगा ये जमाना,
हम तो इश्क़ कर खुद को वैसे ही उलझाये बैठे है..
1. आनंद लूट ले बन्दे,प्रभु की बन्दगी का,
ना जाने कब छूट जाये,साथ जिन्दगी का..
2. किसी रोज़ होगी रोशन, मेरी भी ज़िंदगी,
इंतज़ार सुबह का नही, किसी के लौट आने का है..
3. हमसे क्या खाक उलझेगा ये जमाना,
हम तो इश्क़ कर खुद को वैसे ही उलझाये बैठे है..