कभी खुशियों की चाह में रुलाती है ,
कभी दुखों की पनाह में रुलाती है ,
अजीब सिलसिला है ज़िन्दगी का ,
कभी इंतज़ार करके रुलाती है ,
और दिल तब टूट जाता है जब ऐतबार करके रुलाती है..
कभी खुशियों की चाह में रुलाती है ,
कभी दुखों की पनाह में रुलाती है ,
अजीब सिलसिला है ज़िन्दगी का ,
कभी इंतज़ार करके रुलाती है ,
और दिल तब टूट जाता है जब ऐतबार करके रुलाती है..