खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की।
आप मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है।
अच्छे ने अच्छा और बुरे ने बुरा जाना मुझे।
क्यों की जीसकी जीतनी जरुरत थी उसने उतना ही पहचाना मुझे।
ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ऐब नहीं है
पर सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं है!!
Category: Love Poems in Hindi
Love poem in Hindi on Adhuri Mohabbat
अधूरी मोहब्बत निभाना आखिर किसे नहीं आया?
बताना मुझे नहीं आया, तो जताना उसे नहीं आया।
यूँ तो बिछाए हर तरफ जाल ही जाल थे मोहब्बत के
फसाना मुझे नहीं आया तो छुडाना उसे नहीं आया।
चुप्पी में भी जज्बातों की शिकायत बखूबी हुई लेकिन
सताना मुझे नहीं आया तो मनाना उसे नहीं आया।
अपनी अपनी जिंदगी के बस अपने अपने लम्हे
हँसाना मुझे नहीं आया तो रुलाना उसे नहीं आया।