अपनी जिंदगी के अलग ही असूल हैं,
तेरी खातिर तो काटें भी कबूल हैं,
हस कर चल दू काँच के टुकडो पर भी,
अगर तू कह दे ये मेरे बिछाएं हुए फूल हैं..
अपनी जिंदगी के अलग ही असूल हैं,
तेरी खातिर तो काटें भी कबूल हैं,
हस कर चल दू काँच के टुकडो पर भी,
अगर तू कह दे ये मेरे बिछाएं हुए फूल हैं..