कसूर तो था ही इन निगाहों का,
जो चुपके से दिदार कर बैठी,
हमने तो खामोश रहने की ठानी थी,
पर बेव़फा ये जुब़ान इजहार कर बैठी..
कसूर तो था ही इन निगाहों का,
जो चुपके से दिदार कर बैठी,
हमने तो खामोश रहने की ठानी थी,
पर बेव़फा ये जुब़ान इजहार कर बैठी..