तप कर गमों की आग में कुंदन बने हैं हम;
खुशबू उड़ा रहा दिल चंदन से सने हैं हम;
रब का पयाम ले कर अंबर पे छा गए;
बिखरा रहे खुशी जग बादल घने हैं हम;
सच की पकड़ के बाँह ही चलते रहे सदा;
कितने बने रकीब हैं फ़िर भी तने हैं हम;
छुप कर करो न घात रे बाली नहीं हूँ मैं;
हमला करो कि अस्त्र बिना सामने हैं हम;
खोये किसी की याद में मदहोश है किया;
छेड़ो न साज़ दिल के हुए अनमने हैं हम।
Very nice
Manish kumar
Hm saikil ko wot denge