इंतज़ार की आरज़ू अब खो गई है,
खामोशियों की आदत हो गई है,
ना शिकवा रहा ना शिकायत किसी से,
अगर है तो एक मोहब्बत, जो इन तन्हाईयों से हो गई है..
इंतज़ार की आरज़ू अब खो गई है,
खामोशियों की आदत हो गई है,
ना शिकवा रहा ना शिकायत किसी से,
अगर है तो एक मोहब्बत, जो इन तन्हाईयों से हो गई है..
सब्र रखो जल्दी ही महसूस होगा तुम्हे।
मेरा होना क्या था मेरा ना होना क्या हैं॥
जिंदगी का सारा झगड़ा ही ख्वाहिशों का है
ना तो किसी को “गम” चाहिए और ना ही किसी को “काम” चाहिए