ज़िंदा है शाहजहाँ की चाहत अब तक,
गवाह है मुमताज़ की उल्फत अब तक,
जाके देखो ताज महल को ए दोस्तों,
पत्थर से टपकती है मोहब्बत अब तक..
ज़िंदा है शाहजहाँ की चाहत अब तक,
गवाह है मुमताज़ की उल्फत अब तक,
जाके देखो ताज महल को ए दोस्तों,
पत्थर से टपकती है मोहब्बत अब तक..