ग़म नहीं ये कि क़सम अपनी भुलाई तुमने,
ग़म तो ये है कि रकीबों से निभाई तुमने,
कोई रंजिश थी अगर तुमको तो मुझसे कहते,
बात आपस की थी क्यूँ सब को बताई तुमने..
ग़म नहीं ये कि क़सम अपनी भुलाई तुमने,
ग़म तो ये है कि रकीबों से निभाई तुमने,
कोई रंजिश थी अगर तुमको तो मुझसे कहते,
बात आपस की थी क्यूँ सब को बताई तुमने..
बहुत अच्छा.