चाँद की रातों मे सारा जँहा सोता है,
लेकिन किसी की यादों मे कोई बदनसीब रोता हैं,
खुदा किसी को मुहब्त पे फिदा न करे,
अगर करे तो किसी को जुदा न करें।
चाँद की रातों मे सारा जँहा सोता है,
लेकिन किसी की यादों मे कोई बदनसीब रोता हैं,
खुदा किसी को मुहब्त पे फिदा न करे,
अगर करे तो किसी को जुदा न करें।