अपनी खुशीयां लुटा कर उसपर कुर्बान हो जाऊ,
काश कुछ दिन उसके शहर का मेहमान हो जाऊ,
वो अपना नायाब दिल मुझको देदे,
और फिर वापस मांगे, मैं मुकर जाऊ और बेईमान हो जाऊ..
अपनी खुशीयां लुटा कर उसपर कुर्बान हो जाऊ,
काश कुछ दिन उसके शहर का मेहमान हो जाऊ,
वो अपना नायाब दिल मुझको देदे,
और फिर वापस मांगे, मैं मुकर जाऊ और बेईमान हो जाऊ..
बहुत अच्छी शायरी.