1. उल्फत नहीं नफ़रत ही सही..
चलो कुछ तो है जो उसे दिल से था..
2. टूट ही जाती मेरा हशर-ए-ज़िन्दगी देख कर..
अच्छा है मेरे हाल की मेरी माँ को खबर नहीं..
3. आप ही अपनी जफ़ाओं पर अगर गौर करें तो इनायत होगी..
अगर हम अर्ज़ करेंगे तो आप को शिकायत होगी..
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1. उल्फत नहीं नफ़रत ही सही..
चलो कुछ तो है जो उसे दिल से था..
2. टूट ही जाती मेरा हशर-ए-ज़िन्दगी देख कर..
अच्छा है मेरे हाल की मेरी माँ को खबर नहीं..
3. आप ही अपनी जफ़ाओं पर अगर गौर करें तो इनायत होगी..
अगर हम अर्ज़ करेंगे तो आप को शिकायत होगी..
1.वो खत वो तस्वीरें वो मोहब्बत के फ़साने आखिर किधर गए
वो गुलिस्तां वो फूल वो चोरी का मिलना वो बेखुदी के ज़माने किधर गए ..
2. मुझ से मेरी वफाओं का गिला करता है
वो शख़्स जो आईने में मिला करता है..
3. बहुत सी हसरतों का रोज़ क़तल करता हूँ
दो वक़्त की रोटी ने मुझे एक गुनाहगार बना दिया!!
1. पहले क्या मुश्किलें कम थी,
एक तेरी उलझी ज़ुल्फ़ों ने ज़िन्दगी और उलझा दी..
2. उसके फैंसलों में एक हिज़्र का फैंसला भी था,
मेरे वगैर रह-ए-ज़िन्दगी पर चलते जाने का उस में होंसला भी था..
3. चांदी के सिक्के और बनता हुआ घर दिखाई देता है नजूमियों को ,
मुसाफिर की हाथ की लकीरों में मुक़द्दर दिखाई देता है..
1. किसी ने मुझसे पूछा जिंदगी कैसी है,
मैने मुसकूरा कर कहा पता नही अब कोइ खास तालूख नही रखती..
2. फूल भी दे जाते हैं ज़ख़्म गहरे कभी-कभी,
हर फूल पर यूँ ऐतबार ना कीजिये..
3. जो चल सको तो कोई ऐसी चाल चल जाना,
मुझे गुमाँ भी ना हो और तुम बदल जाना..
1. मोहब्बत की न सही मेरे सलीके की तो दाद दे,
रोज़ तेरा ज़िक्र करता हूँ बगैर तेरा नाम लिए..
2. बहुत रोका लेकिन रोक ही नहीं पाया,
मुहब्बत बढ़ती ही गयी मेरे गुनाहों की तरह”..
3. तुम्हारे चाँद से चेहरे पे ग़म अच्छे नहीं लगते,
हमें कह दो चले जाओ जो हम अच्छे नहीं लगते..