ना हम रहे दिल लगाने काबिल,
ना दिल रहा ग़म उठाने काबिल,
लगे उसकी यादों के जो ज़ख्म दिल पर,
ना छोड़ा उसमे मुस्कुराने के काबिल।।
ना हम रहे दिल लगाने काबिल,
ना दिल रहा ग़म उठाने काबिल,
लगे उसकी यादों के जो ज़ख्म दिल पर,
ना छोड़ा उसमे मुस्कुराने के काबिल।।