सुबह का नजारा भी क्या खूब है,
फिर क्यों मुझसे दूर मेरा महबूब है,
हमें आती है पल पल आपकी याद,
ये आपकी निगाहों का कुसूर है..
सुबह का नजारा भी क्या खूब है,
फिर क्यों मुझसे दूर मेरा महबूब है,
हमें आती है पल पल आपकी याद,
ये आपकी निगाहों का कुसूर है..